
दर्रे या जोते
क्रमांक संख्या |
दर्रो के नाम |
ऊंचाई (मीटर) |
संबंधित जिले |
1 | भीम घसूतरी | 5440 | कांगड़ा-चंबा |
2 | लालुनी जोत | 5440 | लाहुल- स्पीति |
3 | पिन पार्वती | 5319 | कुल्लू- स्पीति |
4 | मकोड़ी जोत | 5090 | कांगड़ा |
5 | दुग्गी जोत | 5060 | भरमौर-लाहुल |
6 | तैंतु दर्रा | 5000 | कुल्लू-कांगड़ा |
7 | कुगती दर्रा | 4961 | लाहुल-भरमौर |
8 | गुलारी जोत | 4960 | लाहुल |
9 | छोबिया दर्रा | 4934 | लाहुल-भरमौर |
10 | दराटी दर्रा | 4720 | चंबा -पांगी |
11 | तामसर दर्रा | 4572 | कांगड़ा |
12 | कुंजम दर्रा | 4520 | लाहुल- स्पीति |
13 | बारालाचा दर्रा | 4551 | लाहुल- स्पीति |
14 | शिपकीला दर्रा | 4500 | लाहुल- स्पीति |
15 | साच दर्रा | 4395 | चंबा -पांगी |
16 | हमटा दर्रा | 4336 | कुल्लू-स्पीति |
17 | रोहतांग दर्रा | 3798 | कुल्लू-लाहुल |
18 | चन्दरखेरनी दर्रा | 3600 | कुल्लू |
19 | जालसू दर्रा | 3450 | कांगड़ा-चंबा |
20 | जलोरी दर्रा | 3135 | कुल्लू |
21 | दुल्ची दर्रा | 2788 | मंडी-कुल्लू |
22 | बसोदन दर्रा | 2400 | चंबा -भटियाट |
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हिमाचल प्रदेश की प्रमुख घाटियाँ-
हिमाचल प्रदेश अपनी खूबसूरत घाटियों के लिए जाना जाता है। हिमाचल में बहुत सी मनमोहक घाटिया हैं। इनमे कुछ प्रमुख घाटियों के नाम निम्नलिखित है।
कांगड़ा घाटी, सांगला (बसपा) घाटी, बल्ह घाटी, चंबा घाटी, कुल्लू घाटी, पौंटा घाटी, लाहौल घाटी, पब्बर घाटी और सतलुज घाटी
कांगड़ा घाटी :-
कांगड़ा घाटी को वीरभूमि के नाम से भी जाना जाता है। जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में है। मुख्यतः ये शाहपुर से लेकर पालमपुर तक फैली हुई है। इस घाटी के प्रमुख नगर है धर्मशाला, नूरपुर, पालमपुर, कांगड़ा, बैजनाथ। धौलाधार पर्वत श्रृंखला कांगड़ा घाटी पर लगे मुकुट के समान है। इस घाटी का प्रसिद्ध स्थल है बीड़। जो हैंग-ग्लाइडिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
सांगला (बस्पा घाटी):-
सांगला घाटी समुद्र तल से 1830 मीटर से 3475 मीटर तक की ऊंचाई के बीच में स्थित है। सांगला घाटी किन्नौर जिला में है। छितकुल इस घाटी का सबसे ऊंचा गांव है। यह सांगला घाटी का प्रमुख गांव है। इस घाटी को बस्पा घाटी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस घाटी से बस्पा नदी बहती है जोकि सतलुज की सहायक नदी है।
बल्ह घाटी:-

बल्ह घाटी मंडी जिले के मैदानी भागों में स्थित है। हिमाचल प्रदेश के बीचो बीच स्थित है तथा इसे उपजाऊ घाटी भी कहा जाता है। यह घाटी सुंदर नगर, नेरचौक चौक में स्थित है। इस घाटी की औसत ऊंचाई 800 मीटर है।
चंबा घाटी :-
चंबा घाटी को रावी घाटी के नाम से भी जाना जाता है। रावी नदी चंबा घाटी के बीचो-बीच प्रवाहित होती है या यूं कहें रावी नदी चंबा घाटी को दो बराबर भागों में बांटती है। इस घाटी में मुख्यतय गद्दी जनजाति के लोग रहते हैं। डलहौजी, भरमौर, खजियार इस घाटी के प्रमुख स्थल है।
कुल्लू घाटी :-
कुल्लू घाटी को देव घाटी के नाम से भी जाना जाता है। इस घाटी में देवदार और सेब के वृक्ष पाए जाते हैं। इस घाटी के प्रसिद्ध स्थल है कुल्लू, मनाली, बंजार, और आनी।
पौंटा घाटी :-
यह घाटी सिरमौर जिला में क्यारदा दून घाटी के नाम से जानी जाती है। यमुना नदी घाटी को देहरादून घाटी से अलग करती है। गिरी और बाटा इस घाटी की प्रमुख नदियां है। पौंटा साहिब ,माजरा, धौला कुआं इस घाटी के प्रमुख स्थल है।
लाहुल स्पीति घाटी:-
यह घाटी हिमाचल प्रदेश के उच्चतम क्षेत्र में स्थित है। इस घाटी की समुद्र तल से ऊंचाई 3000 मीटर से 6500 मीटर तक है। इस घाटी में अल्पाइन वृक्ष पाए जाते हैं। यहां मुख्य रूप से आलू की खेती की जाती है। चंद्रा और भागा इस घाटी की प्रमुख नदियां हैं।
पब्बर घाटी :-
यह घाटी शिमला जिले के ऊपरी भाग में है। इसे रोहड़ू घाटी के नाम से भी जाना जाता है। पब्बर नदी इस घाटी की प्रमुख नदी है। पब्बर नदी का उद्गम स्थल चांसल चोटी है। चांसल चोटी जिला शिमला की सबसे सबसे ऊंची चोटी है।

सतलुज घाटी :-
यह घाटी शिपकी दर्रा किनौर से शुरू होती है और बिलासपुर तक फैली हुई है। शिपकी दर्रा के पास ही सतलुज नदी भारत ( हिमाचल प्रदेश ) ने प्रवेश होती है। इस घाटी में रामपुर, लुहरी, तत्तापानी और बिलासपुर प्रमुख नगर है।